सोमवार, 25 अगस्त 2008

जीवन का पलड़ा भारी है

हालातों से ,संघर्षों से
तेरे मन के अंतर्द्वंदों से
जीवन का पलड़ा भारी है

भ्रमों से, विषादों से
नीरवता के कोलाहल से
जीवन का पलड़ा भारी है

तेरे अहं से,तेरे दंभ से
तेरी विष से भरी जुबानों से
जीवन का पलड़ा भारी है

तेरी जाति से, तेरे धर्म से
तेरे ऊँचें नीचे समाजों से
जीवन का पलड़ा भारी है

तेरे सुखों से,आरामों से
वैभव के साजो-सामानों से
जीवन का पलड़ा भारी है

तेरे अनुत्तरित सवालों से
कर्मों का पलड़ा भारी है
जीवन का पलड़ा भारी है

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