बुधवार, 25 जुलाई 2012

मत झाँको मेरे दिल में

इतना करीब आओ न तुम 
आँखें मेरी हो जायेंगी नम 
मत झाँको मेरे दिल में सनम 
तैर जायेगा आँखों में अब्रे-गम 

कारे बदरा और तन्हा हम 
खोया चन्दा , हैं तारे गुम 
इक स्याह समन्दर और हैं हम 
करना है पार और हिम्मत कम 

कतरा-कतरा टूटे हम 
किस्मत के देखो पेंचो-ख़म 
खुद से भी नज़र चुराते हम 
टूटेंगे किनारे , रो देंगे हम 

इतना करीब आओ न तुम 
आँखें मेरी हो जायेंगी नम 
मत झाँको मेरे दिल में सनम 
तैर जायेगा आँखों में अब्रे-गम

शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

मेरे पँख न कतरो , ऐ खुदा

दो कदम दूर हैं मुझसे , दुनिया की न्यामतें 
वो हौले-हौले बहती हवाएं , नहीं हैं मेरे लिये
काँच के इस पार से देख रही हूँ
लोगों को चहल-कदमी करते हुए
सर्दी,  गर्मी,  बारिश मौसमों को गुजरते हुए
एक ही मौसम ठहरा है इस तरफ , टकटकी बाँधे
या खुदा दो बात की इज़ाजत दे दो
जब तलक होश में हूँ , मुझे मेरी दुनिया दे दो
ये दुनिया तो एक ख़्वाब-गाह है
बिस्तर पर पड़ी तो जाना मैंने
पहुच से दूर हो जो कुछ भी
वो चन्दा  है , वो सूरज है , वो अम्बर  है
वो हसीन  है , वो दिलबर है , वो मंज़िल  है
मेरे पँख न कतरो , ऐ खुदा
फिर उड़ान भरने की इज़ाजत दे दो
मुझे फिर इक बार मेरी दुनिया दे दो